सफर बस वैसा ही बरक़रार है अब तक,
ख़ुद को ख़ुद ही का इंतज़ार है अब तक।
चैन-ओ-सुकून मिले भी तो कहाँ से?
ज़हनो दिल के बिच एक दीवार है अब तक।
छोड़ दिया तुमने फ़िर भी आज़ाद ना हुआ,
जज्बातों पे तेरा जो इख्तियार है अब तक।
आज की ख़बर न फिक्र आने वाले कल की,
बीते हुए कल का शायद वो खुमार है अब तक।
क्या हो इलाज उसका किसी दवा या दुआ से?
अपने ही वजूद का 'ताइर' बीमार है अब तक।
आज की ख़बर न फिक्र आने वाले कल की,
ReplyDeleteबीते हुए कल का शायद वो खुमार है अब तक।
क्या हो इलाज उसका किसी दावा या दुआ से?
अपने ही वजूद का 'ताइर' बीमार है अब तक।बहुत अच्छा लिखा है। बधाई
छोड़ दिया तुमने फ़िर भी आज़ाद ना हुआ,
ReplyDeleteजज्बातों पे तेरा जो इख्तियार है अब तक।
आज की ख़बर न फिक्र आने वाले कल की,
बीते हुए कल का शायद वो खुमार है अब तक।
वाह ! बहुत ही सुंदर लिखा है आपने ..
सफर बस वैसा ही बरक़रार है अब तक,
ReplyDeleteख़ुद को ख़ुद ही का इंतज़ार है अब तक।
:
aapne to pahle hi sher main maidan maar liya ..... badhai ho !! :)
आज की ख़बर न फिक्र आने वाले कल की,
ReplyDeleteबीते हुए कल का शायद वो खुमार है अब तक।
subhan allah.......
क्या हो इलाज उसका किसी दावा या दुआ से?
ReplyDeleteअपने ही वजूद का 'ताइर' बीमार है अब तक।
-बहुत उम्दा, क्या बात है!
Wah wah. Su vaat chhe. Mazaa aa gaya.
ReplyDeleteआज की ख़बर न फिक्र आने वाले कल की,
ReplyDeleteबीते हुए कल का शायद वो खुमार है अब तक।
" beautiful composition"
Regards
bahut khoob...achche sher kahe hain.
ReplyDeleteआज की ख़बर न फिक्र आने वाले कल की,
ReplyDeleteबीते हुए कल का शायद वो खुमार है अब तक।
wah kya baat hai
क्या हो इलाज उसका किसी दावा या दुआ से?
अपने ही वजूद का 'ताइर' बीमार है अब तक।
bhaut sach
bhaut dino baad aa paayi uske liye maafi chhati hoon
magar aaj aana jaise sarthak ho gaya