Thursday, October 4, 2012

'भारतवासी' मर मर के जिया है...


अब उसे किस्तों में क्यों बाँट दिया है
देश को 'बेच खाना' जब तय कर लिया है?

कभी कच्चा तेल कभी ऍफ़डीआई रिटेल 
कभी पानी के नाम पर घोटाला किया है !

सुनेहरे सपनों के झाल में यूँ उलझाया
महंगाई का ज़हर सबने सब्र से पिया है l 

'आम आदमी' की सरकार क्या खूब चली
हर एक 'भारतवासी' मर मर के जिया है l