आज फिर एक बार चर्चे होंगे महान इतिहास के
आज फिर रंगो से देशभक्ति ज़ाहिर होगी
आज घर के बड़े, बच्चों को आज़ादी का पाठ देंगे
मीडिया वाले नए 'फ्रीडम फाइटर्स' ढूंढ निकालेंगे !
फिर गाँधी के सत्याग्रह की दुहाई आज देंगे
फिर सरदार के संकल्प की मिसाल दोहराएंगे
फिर आज़ाद का वो आज़ाद मिज़ाज दिखाएंगे...
हर साल की तरह इस साल भी आज़ादी का
सिर्फ चर्चा, दिखावा और व्यापार होगा
कल सब फिर उसी चक्कर में लग जाएंगे
अपनी अपनी हैसियत से 'देशलूट' लगाएंगे
आने वाले साल तक हर देशभक्त सोया रहेगा
रोज़ाना ख़बर देख के, पढ़ के, सुन के कहेगा
'यहाँ ना कुछ बदला है, ना कुछ बदलेगा,
ये देश यूँ ही चला है, बस यूँ ही चलेगा !'
हाई, शिशिर, तुम्हारी यह कविता अच्छी लगी| सहज| समसामयिक| तुम्हारे भविष्य उज्ज्वलता कि कामना करता हू|
ReplyDeleteमोनू जी, होंसला अफज़ाई का बहोत बहोत शुक्रिया.
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