दिल अपनी कशमकश ख़ुद ही ना जाने,
यूँ ही अपनें आप से हम हुए बेगाने।
ना सजती हैं हसीं ना बहते हैं आंसू अब,
हो क्या इलाज जब वजूद लगे ठुकराने?
दुनिया की परवाह नहीं बस तेरा है ग़म,
बिच सफर साथ छोड़ क्यों बने अंजाने ?
क्या दिल को ख्वाहिश का भी हक नहीं कोई?
या कहो शिकायत के बस मिल गए बहाने!
चेहरे पे चेहरा लगा कर जीते हैं जो,
आ गए आज हमें जीने का ढंग सिखाने!
कौन बदला है यहाँ जो बदलेगा 'ताइर'
तरीका-ए-ज़िन्दगी सब आज़ाद हैं अपनाने।
बहुत सुंदर....बधाई।
ReplyDelete"दुनिया की परवाह नही, बस तेरा गम है...."
ReplyDelete" नाजुक एहसासों की सुंदर अभिव्यक्ति....और यही एक गम क्या कम है"
Regards
अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है...दिल को छु गई.....ऐसे हे आप लिखते रहे ....अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteI've been thinking of a business idea. Wanted to know what you think of it. Call me sometime when you can. Cheers
ReplyDeleteकौन बदला है यहाँ जो बदलेगा ........वाह दोस्त क्या बात कही है
ReplyDeleteक्या बात है ताइर भाई....भई वह-वाह ! वह-वाह!!
ReplyDeleteदिल तो दिल से हुए हैं बेगाने
ReplyDeleteक्यों,या तो मै जानूं या तू जाने
bahut badhiyaan!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....आखिरी शेर ज्यादा पसंद आया!
ReplyDelete