Thursday, May 8, 2008

है वजूद खुदा का ?

है वजूद खुदा का, कैसे मान लिया आप ने?
अनजाने डर को खूब नाम दिया आप ने ...

हम को तो ऐतबार का सबब नही मिलता ,
कहीं बेवजह तो नही, भरोसा किया आप ने?

अपने ही बंदो से जो बेपर्दा न हो सका,
फलक पे मकाम उसका, मान लिया आप ने ...

गर है वह हर जगह तो कैद क्यों करना पड़ा?
या कहो उसे भी कोने में बिठा दिया आप ने ...

दहलीज़ पे जा के चंद सिक्के चढा आते हो,
खुदा से भी कारोबार, खूब किया आप ने ...

औरो को खुशी दे, 'ताइर' दुआ कर लेता ,
उस पर भी बना दी कितनी कहानियाँ आप ने ?!!

3 comments:

  1. Dehliz pe jaa ke chand sikke chadha aate ho jo,
    Khuda se bhi karaobaar, khub kiya aap ne.....

    वाह क्या खूब शेर कहा है आपने.. ताईर मिया.. रात में लिखी हुई ग़ज़ले अक्सर दिन में खूबसूरत लगती है.. ये भी कुछ उनमे से ही है

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  2. गर है वह हर जगह तो कैद क्यों करना पड़ा?
    या कहो उसे भी कोने में बिठा दिया आप ने ...

    saare hi sher laajawaab ..kaunsa sabse khoobsoorat hai..chun na bahut hi mushkil tha..fir bhi ye dil chhu gaya...

    likhte rahe..

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  3. waah...bahut sundar, badi alag si lagi.

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