Tuesday, August 4, 2009

पत्थर को जो भी नाम दो...

कल रात घर से थोडी दूरी पर एक विस्तार में एक छोटे से मन्दिर को ले कर बवाल मच गया। गुजरात हाई कोर्ट ने कुछ दिन पहले उस मन्दिर को हटाने का हुक्म जारी कर दिया था। पर जिनकी आस्था उस मन्दिर से जुड़ी हैं, उनको मंज़ूर नहीं। अब दो अलग अलग गुट हो गए, एक मन्दिर हटाने के समर्थन वाले और एक मन्दिर बचाने वाले।
कल शाम जब मन्दिर तोडा जाने वाला था, लोगो ने पत्थर मारना शुरू कर दिया। मामला गंभीर होता चला गया। ३०० से ज़्यादा पुलिस वाले आ गए और उन पर भी पत्थर फेंके गए । बाद में पुलिस ने टियर गैस शेल्स छोडे और हवा में फायरिंग की तब लोग थोड़े काबू में आए। मामला देर रात तक चलता रहा। बात मन्दिर की थी वोह तो लोग जैसे भूल ही गए और आपसी जात-पात को ले कर गुटों में फिर लड़ाई हो गई...देर रात srpf के और जवान बुलाने पड़े तब जा के मामला काबू में आया।
इस मामले से मन थोड़ा व्यथित हो गया। क्या किसी पत्थर में लोगों की 'आस्था' दुसरें लोगो की जान से ज़्यादा कीमती हैं, या फिर ये बस दिखावा हैं? कैसे कोई एक छोटा सा मन्दिर बचाने के लिए किसी का घर तोड़ सकता है?
जब कोई जवाब नहीं मिला, कोई हल नज़र नहीं आया तो कुछ लफ्जों का सहारा ले कर एक ग़ज़ल बुन ली...


तुम पत्थर को जो भी नाम दो, फर्क नहीं आ सकता,
कोई कैसे भी तराशे उसे, फितरत नहीं मिटा सकता।

बाँट दिया भागवान को तुमने जानें कितनें रूप में,
फिर लड़ते हो उसपे, तुम्हें भागवान भी नहीं बचा सकता।

जो तुम्हें यह बेशकीमती ज़िन्दगी दे सकता हैं,
उसे छोटी छोटी रिश्वत से मनाया नहीं जा सकता।

मन्दिर या मस्जिद में जाने की हिदायत ना दो मुझे,
मेरा खुदा चंद रुपियों से ख़रीदा नहीं जा सकता।

अगर हैं वजूद-ए-खुदा, तो तुझ में ही बसा है कहीं,
हाथ जोड़ने या फैलाने से उसे पाया नहीं जा सकता।

8 comments:

  1. kaash log samaj paate...kehne ki zarurat na rehti.

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  2. अगर हैं वजूद-ए-खुदा, तो तुझ में ही बसा है कहीं,
    हाथ जोड़ने या फैलाने से उसे पाया नहीं जा सकता। agar samjhane se samjh jaye log to bhi ganeemat samjhe...ek baar fir khoobsurti se kahi aapne apni baat...

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  3. aapaki rachana ka jawaab nahi.....bahut hi sundar

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  4. सारा सार ही यही है.. ताईर भाई.. बस लोग समझ ले.. वही बहुत है..

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  5. खुदा या भगवान् .....का सफ़र पजामे की नाप ओर दाढ़ी या चोटी से तय नहीं हो सकता ...इस देस्श में कितने मंदिर मस्जिद है ...फिर भी यकीं से कहता हूँ...भगवान् उनमे से किसी में नहीं होगा....आदमी की आदमियत देखकर

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  6. sabhi ka shukriya...

    kushbhai aur sir ji...samajne wale inmein shamil ho ya na ho...ye mamle sabki zindgai ko chhute zarur hain...

    lekin...kaaash...

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  7. bilkul sahi likha hai.par murkho ko kaun samzahwe

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