पुणे में गुज़ारे ज़िन्दगी के कुछ यादगार सालों में एक सबसे अहम बात जो हुई वो थी 'अन्ना की टपरी'। ये गाना मेरे अज़ीज़ दोस्त अभय के भेजे की उपज थी और एमआईटी के हर स्टूडंट (?) की पसंद।
यहाँ सबसे पहले उसी गाने की विडीओ लिंक है और उसके बाद… अन्ना की टपरी -२.
अन्ना की टपरी -२
अन्ना की टपरी
अब तक ना भूली
लाइफ़ ये चाहे
कितनी भी बदली
एमआईटी छूटा
यार दोस्त बिखरे
किस्मत में रंग नए
फ़िर भी है निखरे
बंदा था तैयार
पूरी तरह से
मात खाये ना
किसी जगह से
मार्केट ने कईं
ठोकर लगाई
फ़िर भी ना उसने
हार कहीं मानी
अन्ना की टपरी...
घरवालों का भी
नंबर अब आया
शादी का प्रेशर
खूब लगाया
फ़िर एक लड़की
उसको भी भाई
बंदे ने ख़ुशी ख़ुशी
शादी रचाई
अन्ना की टपरी...
अब बिलकुल सेटल
लाइफ़ हुई यारों
फ़िर भी तुम मानों
चाहे ना मानों
अब भी वो दिन
याद जब हैं आतें
थोड़ा हसातें
थोड़ा रुलातें
अन्ना की टपरी
अब तक ना भूली
लाइफ़ ये चाहे
कितनी भी बदली!
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