अब उसे किस्तों में क्यों बाँट दिया है
देश को 'बेच खाना' जब तय कर लिया है?
कभी कच्चा तेल कभी ऍफ़डीआई रिटेल
कभी पानी के नाम पर घोटाला किया है !
सुनेहरे सपनों के झाल में यूँ उलझाया
महंगाई का ज़हर सबने सब्र से पिया है l
'आम आदमी' की सरकार क्या खूब चली
हर एक 'भारतवासी' मर मर के जिया है l
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