इस तरह हर रोज़, नीलाम हो रहा सरेआम,
वजूद-ए-हिन्दोस्ताँ मिट जाएगा, रहेगा सिर्फ नाम !
जनता आम और ज़िन्दगी कोडियों के दाम,
भ्रष्टाचारी और लाचारी, है सरकार का काम !
एक होने की बात पर, एक एक कर बंट जाए,
खुद का मतलब निकलते ही, हो जाए नियत हराम !
सदियों पुरानी ग़लती बड़े फक्र से दोहराई है,
तक़दीर की है बात अब, अल्लाह बचाए या राम !