ऐसा भी नहीं की हमनें अब तक कुछ किया नहीं,
पर बात ये भी है, जीना चाहिए जैसे, जिया नहीं।
कभी दर्द कभी तनहाई कभी जश्न के बहाने पीया,
पर ढूंढते रहे जिसको वो सुकून में ही पीया नहीं।
कहने को तो जहाँ से किसी बात की कमी नहीं,
दिल ने क्या कर ली उंस की ख्वाहिश, दिया नहीं।
शुक्र कर खुदा 'ताइर' को कोई ऐतबार नहीं है तेरा,
इस सबब-ए-हाल खुद को माना, नाम तेरा लिया नहीं।
पर बात ये भी है, जीना चाहिए जैसे, जिया नहीं।
कभी दर्द कभी तनहाई कभी जश्न के बहाने पीया,
पर ढूंढते रहे जिसको वो सुकून में ही पीया नहीं।
कहने को तो जहाँ से किसी बात की कमी नहीं,
दिल ने क्या कर ली उंस की ख्वाहिश, दिया नहीं।
शुक्र कर खुदा 'ताइर' को कोई ऐतबार नहीं है तेरा,
इस सबब-ए-हाल खुद को माना, नाम तेरा लिया नहीं।
Wah janaab :)
ReplyDeletebahut sundar
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