वो जो मेरी नाकामी की दुआएँ माँगते थे,
सुना है अब खुदा पे ही यकीन नहीं रखते!
इतनी खुराफ़ाती भी अच्छी नहीं है दिल,
लोग बुरा मान जातें है, बेपर्दा जो मिल।
मुनासिब कहाँ की सरेआम, हम ले नाम,
दोस्तों का काम था, सो कर गए तमाम!
थोड़ा 'हरामीपन' भी ज़रूरी है,
साफ़ दिल, दुनिया समझे मज़बूरी है!
रिश्तों में बदलाव आना लाज़मी था,
अब मैं उसी के रुख़ का आदमी था।
कुछ अधूरे ख्वाब यूँ भी बर आते हैं,
जब निगाह बंध हो, साफ नज़र आते हैं।
माना धुंधला है रास्ता पर नज़र तो है,
पहुँचना है कहाँ...अब खबर तो है !
ढल गई शाम भी, अब ठहर जा,
कोई है इंतज़ार में, जा, घर जा।
कभी कभी सुबह ऐसी खूबसूरत होती है,
ना किसी की खबर, ना कोई फ़िकर होती है।
लोग जो दिल के बहोत करीब होतेँ है,
सच में... बड़े ख़तरनाक रकीब होते है।
ज़िन्दगी भी कहाँ अपनी फ़ितरत बदलती है,
सपनों की लहर के बाद सैलाब उगलती है।
- ताइर
- ताइर