Saturday, December 21, 2013

अब भी...

अब भी तुझसे कोई रिश्ता सा बना है,
हाथ में हाथ नहीं, तू यादों से जुड़ा है। 

ख़त्म करने कि बात तू करना ना मुझसे,
वजूद मेरा सिर्फ तेरे एहसास पे टिका है।  

कोई बात नहीं गर तू वाक़िफ़ नहीं मुझसे,
करता कहाँ कुबूल हर दुआ खुद है !

अब भी अपने आप से घबराते है कितना,
वो हर सुबह पत्थर से करते दुआ है। 

Monday, June 3, 2013

अमन-ओ-सुकूं को आवाज़ लगाते हैं !

आओ चलो हम भी कुछ बवाल मचाते हैं,
अमन--सुकूं को आवाज़ लगाते हैं !

बड़े दिन हो गए कोई हरकत नहीं की,
यारों आज सारी ही कसर मिटाते हैं l 

कल तक जो बोले तो अनसुने रहें,
अब चुपचाप हम दास्ताँ कह जातें हैं 

तेरी इनायत भी क्या खूब बरसती है,
'काफ़िर' कहलाए वो जो सवाल उठाते हैं l
 
'ताइर' की बेफ़िक्री पे शक क्यों है उन्हें,
जो हर बार, सिर्फ ताना दे आते हैं !